डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: धनबाद में राष्ट्रीय कृमिनाशक अभियान के तहत बच्चों को दी जाने वाली दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। करीब पाँच लाख रुपये खर्च कर एल्बेंडाजोल दवा खरीदी गई, लेकिन दवा का सैंपल गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गया। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग को अभियान शुरू करने से पहले ही रोकना पड़ा। वहीं अधिकारी सकते में हैं, क्योंकि पहले से तैयार अभियान को अचानक बंद करना पड़ा है।
पाँच लाख रुपये खर्च, लेकिन घटिया दवा
स्वास्थ्य विभाग ने 20 सितंबर को धनबाद जिले के 4.73 लाख बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन एक दिन पहले जब इस दवा की गुणवत्ता की जांच की गई, तो सैंपल फेल हो गया। दवा की खरीदारी सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा मां शारदा इंटरप्राइजेज से की गई थी। अब शुक्रवार को यह अभियान रद्द कर दिया गया है, जबकि छह हजार से ज्यादा कर्मचारियों को इसके लिए विभिन्न स्थानों पर तैनात किया जा चुका था।
तत्काल कार्यक्रम को रोकने के निर्देश
देर शाम तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से सिविल सर्जन कार्यालय में फोन आते रहे कि कार्यक्रम क्यों रद्द हुआ, लेकिन स्पष्ट जानकारी किसी को नहीं मिल पा रही थी। अधिकारियों ने बताया कि दवा की गुणवत्ता जांच के बाद ही इसे बच्चों को खिलाने का निर्देश था। लैब रिपोर्ट के अनुसार, दवा खाने से पेट के कृमि खत्म नहीं हो सकते थे, जिसके बाद तत्काल कार्यक्रम को रोकने का फैसला लिया गया।
लंबे समय से चल रही थी तैयारी, एक झटके में ठप हुआ अभियान
राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस के लिए जिले में एक महीने से तैयारी हो रही थी। डॉक्टरों के अलावा आंगनबाड़ी कर्मी, सहिया और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया था। इस अभियान पर हजारों रुपये खर्च किए जा चुके थे, लेकिन अब इसे सैंपल फेल होने के बाद स्थगित कर दिया गया है। 27 सितंबर को होने वाले मॉप-अप राउंड के लिए भी अब अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर उठे सवाल
दवा की खरीदारी में बरती गई लापरवाही ने अधिकारियों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को दी जाने वाली दवा का सैंपल फेल होना स्वास्थ्य विभाग की गंभीर चूक मानी जा रही है। अब इस मामले की पूरी जांच की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।
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