डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को झारखंड की भूमि को तीर्थ की तरह नमन किया। उन्होंने कहा, “झारखंड आना मेरे लिए तीर्थयात्रा की तरह है। भगवान बिरसा की इस भूमि को मैं तीर्थ की तरह नमन करती हूं।” भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के रांची स्थित राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने आईं राष्ट्रपति ने संस्थान परिसर में आयोजित लाह उत्पादन पर आधारित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और कार्यक्रम को संबोधित किया।
केंद्र सरकार ने किसानों और महिलाओं की आय बढ़ाने पर दिया जोर
राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों, खासकर महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, राज्य की कृषि मंत्री दीपिका सिंह पांडे और रांची के सांसद संजय सेठ भी उपस्थित थे।
झारखंड की कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रपति का दृष्टिकोण
अपने छह सालों के झारखंड के राज्यपाल कार्यकाल को याद करते हुए, राष्ट्रपति ने पलामू दौरे का जिक्र किया, जहां उन्हें ‘प’ से पलाश, ‘ला’ से लाह और ‘म’ से महुआ का महत्व बताया गया था। उन्होंने झारखंड में कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के प्रयासों की भी प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के लिए मधुमक्खी पालन और पर्यटन को भी बढ़ावा देना होगा। साथ ही, कृषि अपशिष्ट को लाभदायक बनाकर मुख्य कृषि उत्पाद के साथ सेकेंडरी एग्रीकल्चर की दिशा में भी प्रयास किए जा सकते हैं।
बादाम के छिलके से पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में प्रयास
राष्ट्रपति ने नामकुम में लगी प्रदर्शनी का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे बादाम के छिलके का भी उपयोग किया जा रहा है। इस प्रकार के प्रयास न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाह को बताया महिला सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण साधन
वहीं,केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाह को महिला सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण साधन बताया। उन्होंने कहा कि लाह प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प है और यह पर्यावरण संरक्षण में सहायक है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि लाह को कृषि उपज का दर्जा दिया जाए। इसके साथ ही लाह उत्पादन में लगे खर्च का 50 प्रतिशत बढ़ाकर इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य भी निर्धारित करने की योजना पर चर्चा की। चौहान ने बताया कि अब संस्थान से 1500 की बजाय 5000 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
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