केन्द्रीय मंत्री रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी अश्विनी वैष्णव ने कवच सिस्टम का लोको से ट्रायल रन किया। यह ट्रायल रन सवाई माधोपुर से इंद्रगढ़ सुमेरगंजमंडी स्टेशन तक किया गया। इस दौरान रेल मंत्री ने लोको पायलटो के साथ संवाद किया एवं कवच 4.0 के बारे में सभी जानकारियां ली।
मिशन रफ्तार के तहत कवच प्रणाली
भारतीय रेलवे ने मिशन रफ्तार के तहत कवच प्रणाली को लागू करने के लिए कई पहल की हैं। यह प्रणाली ट्रेनों की सुरक्षा और गति को बढ़ाने में मदद करती है। कवच सिस्टम स्वचालित ट्रेन सुरक्षा एवं ट्रेनों के टकराव रोकने की क्षमता प्रदान करता है।
कवच प्रणाली की विशेषताएं
सिग्नल पासिंग एट डेंजर स्थिति को रोकता है और आवश्यकतानुसार स्वचालित गति प्रतिबंध लागू करता है।
आमने-सामने, पीछे से और साइड से टकराव की स्थिति में ट्रेनों का स्वचालित रूप से पता लगाता है और रोकता है।
लोको पायलट को इन-कैब सिग्नलिंग प्रदान करता है, जिससे कोहरे में ट्रेन संचालन संभव होता है।
कवच द्वारा स्पीड नियंत्रण:
यदि ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 2 किमी/घंटा से अधिक है, तो कवच सिस्टम द्वारा ओवर स्पीड अलार्म जारी होगा।
अगर ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 5 किमी/घंटा अधिक है, तो सामान्य ब्रेकिंग होगी।
यदि ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 7 किमी/घंटा अधिक है, तो पूर्ण ब्रेक लागू होगा।
अगर ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 9 किमी/घंटा अधिक है, तो आपातकालीन ब्रेक लागू होगा।
लोको कवच यूनिट:
लोको में कवच सिस्टम का दिल ड्राईवर मशीन इंटरफेस है। ड्राइवर मशीन इंटरफेस के मुख्य कार्य सिग्नलिंग जानकारी प्रदर्शित करना, स्पीड और ब्रेकिंग स्थिति दिखाना, सिग्नल पासिंग एट डेंजर की रोकथाम आपातकालीन संदेश भेजने की सुविधा है।
कवच के लाभ:
सुरक्षा में वृद्धि: ट्रेनों की गति को नियंत्रित करके दुर्घटनाओं की संभावना को कम करना।
सटीकता: ट्रेन संचालन में सटीकता और समयपालन सुनिश्चित करना।
उर्जा की बचत: स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम से उर्जा की बचत होती है।
पर्यावरण संरक्षण: कवच सिस्टम से पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।