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Friday, November 22, 2024

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पृथ्वी के करीब आ रहा है ‘एपोफिस’ एस्टेरॉयड, इसरो ने टकराव की संभावना पर जताई चिंता

डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने हाल ही में चेतावनी जारी करते हुए बताया कि एक विशाल एस्टेरॉयड, जिसका नाम ‘एपोफिस’ है, तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। इस एस्टेरॉयड का नाम मिस्र के अराजकता के देवता के नाम पर रखा गया है। 13 अप्रैल, 2029 को इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई जा रही है, जिससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

डॉ. सोमनाथ का कहना है, “अगर यह एस्टेरॉयड धरती से टकराया, तो इंसानियत खत्म हो जाएगी। इसरो इस संभावित खतरे के प्रति पूरी तरह सतर्क है और हमारा नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) इसे बारीकी से ट्रैक कर रहा है। आखिरकार, हमारे पास रहने के लिए केवल एक ही पृथ्वी है।” उन्होंने कहा कि इस खतरे से निपटने के लिए सभी देश एकजुट होकर काम करेंगे।


2004 में पहली बार चर्चा में आया था एपोफिस एस्टेरॉयड

एपोफिस को पहली बार 2004 में खोजा गया था। यह एस्टेरॉयड अपनी कक्षा में नियमित रूप से पृथ्वी के करीब आता है और वैज्ञानिक इसे बारीकी से ट्रैक कर रहे हैं। इसके अगले दो निकटतम मुठभेड़ 2029 और 2036 में होंगी। हालांकि कुछ अध्ययन बताते हैं कि 2029 में यह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा, लेकिन टकराने की संभावना कम है।

आईएनएस विक्रमादित्य से भी बड़ा है एपोफिस

एपोफिस का अनुमानित व्यास 340 से 450 मीटर के बीच है, जो कि भारत के सबसे बड़े विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से भी बड़ा है। इस आकार का एस्टेरॉयड पृथ्वी से केवल 32,000 किलोमीटर ऊपर से गुजरेगा, जो एक रिकॉर्ड होगा। इससे पहले इतना बड़ा एस्टेरॉयड कभी हमारे ग्रह के इतने करीब नहीं आया है।

संभावित खतरा

एपोफिस जैसे एस्टेरॉयड को वैज्ञानिक “संभावित रूप से खतरनाक” मानते हैं, खासकर तब जब उनका व्यास 140 मीटर से अधिक हो और वे पृथ्वी के करीब से गुजरें। इस एस्टेरॉयड की गति और आकार को ध्यान में रखते हुए, इसरो और अन्य अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां लगातार इसकी निगरानी कर रही हैं ताकि कोई भी अप्रत्याशित घटना होने से पहले उससे निपटने के उपाय किए जा सकें।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जरूरी

इसरो प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि एस्टेरॉयड से जुड़े खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है। “हम पृथ्वी और मानवता को बचाने के लिए सभी देशों के साथ सहयोग करेंगे।

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