डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू विवाद ने आंध्र प्रदेश समेत पूरे देश में सियासी घमासान मचा दिया है। दक्षिण भारतीय सिनेमा के दो दिग्गज, प्रकाश राज और अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण, इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए हैं। मामला इतना बढ़ चुका है कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
जांच की मांग और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने इस विवाद की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति की मांग की है। हालांकि, इस विवाद का श्रद्धालुओं पर खास असर नहीं दिख रहा है। भक्तों का मानना है कि यह मुद्दा अब पुरानी बात हो चुकी है और तिरुपति मंदिर में लड्डू की बिक्री पहले की तरह जारी है।
मंदिर में हर दिन औसतन 3.50 लाख लड्डू बिक रहे हैं, और चार दिनों में 14 लाख से अधिक लड्डू बेचे जा चुके हैं।
तारीख | कितने लड्डू बिके |
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19 सितंबर | 3.59 लाख |
20 सितंबर | 3.17 लाख |
21 सितंबर | 3.67 लाख |
22 सितंबर | 3.60 लाख |
लड्डू का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु भगवान वेंकटेश के दर्शन करने आते हैं। यहां के प्रसादम, विशेषकर लड्डू, का भक्तों के लिए विशेष धार्मिक महत्व है। लड्डू को बादाम, किशमिश, काजू, बंगाली चना, चीनी और गाय के शुद्ध घी से तैयार किया जाता है, जिसे श्रद्धालु पूजा के बाद प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं।
लड्डू में पशु चर्बी का आरोप और राजनीतिक विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति बालाजी के लड्डू में पशु चर्बी मिलाए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर भी निशाना साधा। प्रदेश सरकार द्वारा जांच कराई गई, जिसमें लैब रिपोर्ट में पशु वसा की पुष्टि की बात कही गई।
चंद्रबाबू नायडू ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने लड्डू में घटिया सामग्री और पशु वसा के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब लड्डू में शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरी ओर, जगन मोहन रेड्डी ने नायडू के आरोपों को राजनीति करार दिया।
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