डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: इस साल उत्तर भारत में गर्मियों के दौरान सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया, जिसने पिछले साल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। सितंबर का महीना शुरू हो चुका है, लेकिन उमस भरी गर्मी से देश के कई हिस्सों में लोग बेहाल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अत्यधिक तापमान मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है।
वैश्विक तापमान ने पार की खतरनाक सीमा
यूरोपीय संघ के जलवायु मॉनिटर के अनुसार, इस साल धरती पर अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, जून से अगस्त के बीच दुनिया के अधिकांश हिस्सों में रिकॉर्ड गर्मी देखी गई। कॉपरनिकस की उपनिदेशक सामंथा बर्गेस ने बताया कि 2024 के इन तीन महीनों में, इतिहास में सबसे गर्म बोरियल गर्मी का अनुभव हुआ।
जलवायु परिवर्तन के असर
वैश्विक तापमान जून और अगस्त के बीच औसतन 1.5°C से ऊपर चला गया, जो जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन पृथ्वी को लगातार गर्म कर रहा है, जिससे सूखा, आग, और बाढ़ जैसी आपदाएं अधिक तीव्र और सामान्य होती जा रही हैं।
कुछ हिस्सों में सामान्य से कम तापमान
हालांकि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी देखी गई, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जैसे अलास्का, पूर्वी अमेरिका, पाकिस्तान और उत्तरी अफ्रीका में औसत तापमान सामान्य से कम रहा। इसके विपरीत, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, और स्पेन जैसे देशों ने अगस्त के महीने में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का सामना किया।
भविष्य की चेतावनी
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 का अगस्त महीना पिछले साल के रिकॉर्ड से मेल खा रहा है, जबकि जून के महीने में भी तापमान में भारी बढ़ोतरी देखी गई। यह इस बात का संकेत है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में और भी ज्यादा गंभीर जलवायु प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।
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