डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: मुस्लिम बहुल देश ताजिकिस्तान ने अपने यहां हिजाब और अन्य धार्मिक कपड़ों के पहनने पर पांबदी लगा दी है। पिछले 30 सालों से ताजिकिस्तान की सत्ता में काबिज राष्ट्रपति इमोमाली रहमान का मानना है कि धार्मिक पहचान देश के विकास में बाधक है। जून 2023 में सरकार ने इस कानून को लागू किया था, लेकिन अब इस पर सख्ती से अमल शुरू हो गया है। रहमान पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा देने में जुटे हैं और उनकी सरकार का कहना है कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है। सरकार का दावा है कि इस कदम से अंधविश्वास और उग्रवाद से लड़ने में मदद मिलेगी।
मुस्लिम पहचान को चुनौती मानती है ताजिक सरकार
2020 की जनगणना के मुताबिक, ताजिकिस्तान में 96% आबादी मुस्लिम है। इसके बावजूद वहां की सरकार इस्लामी जीवनशैली और मुस्लिम पहचान को धर्मनिरपेक्षता के लिए एक चुनौती मानती है। 1994 से सत्ता में काबिज इमोमाली रहमान ने दाढ़ी बढ़ाने पर भी रोक लगा दी है। इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान है।
हिजाब पर पहले से ही था प्रतिबंध
ताजिकिस्तान ने 2007 से स्कूलों और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। अब इस कानून के तहत महिलाएं देश में कहीं भी हिजाब या किसी अन्य कपड़े से सिर नहीं ढक सकती हैं। हालांकि, दाढ़ी रखने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है, लेकिन अधिकारियों द्वारा लोगों की दाढ़ी जबरन काट दी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति प्रतिबंधित कपड़े पहनता है तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ता है। आम नागरिकों पर 64,772 रुपये तक का जुर्माना, कंपनियों पर 2.93 लाख और सरकारी अधिकारियों पर चार लाख से 4,28,325 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
धार्मिक शिक्षा और बच्चों पर भी पाबंदियां
ताजिकिस्तान में अगर माता-पिता अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा के लिए विदेश भेजते हैं तो उन्हें दंडित किया जाता है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना अनुमति के मस्जिदों में जाने की इजाजत नहीं है। यहां तक कि ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा पर भी बच्चों के उत्सवों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
विदेशी संस्कृति का प्रभाव मानती है सरकार
ताजिकिस्तान, एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन यहां हिजाब और दाढ़ी रखने को विदेशी संस्कृति का हिस्सा माना जाता है। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में काले कपड़े के बेचने पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है। तुर्की के दैनिक सबा की रिपोर्ट के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को शुक्रवार की नमाज में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं है। 2015 में, ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की राज्य समिति ने 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हज पर जाने पर भी रोक लगा दी थी।
कट्टरपंथ से निपटने के लिए कठोर कदम
ताजिकिस्तान की सरकार कट्टरपंथ को सबसे बड़ा खतरा मानती है। वह मानती है कि इन उपायों से कट्टरपंथ से लड़ने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में कई ताजिक नागरिकों ने आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए विदेश का रुख किया है। 2023 के मार्च महीने में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकी हमले में भी एक ताजिक नागरिक के शामिल होने के सबूत मिले थे, जिसमें 140 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
राष्ट्रपति का बयान
राष्ट्रपति रहमान ने कहा है कि उनका उद्देश्य ताजिकिस्तान को एक लोकतांत्रिक, संप्रभु, कानून-आधारित और धर्मनिरपेक्ष देश बनाना है। उन्होंने लोगों को अपने दिल में ईश्वर से प्रेम करने की सलाह दी है।
मस्जिदों को बंद करने की कार्रवाई
2017 में ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की समिति ने जानकारी दी थी कि एक साल के भीतर 1,938 मस्जिदों को बंद कर दिया गया था। कई मस्जिदों को चाय की दुकानों और चिकित्सा केंद्रों में बदल दिया गया है। 2014 से लेकर 2018 तक, लगभग 1,000 ताजिक नागरिक सीरिया और इराक में आईएसआईएस में शामिल होने के लिए गए थे।
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