साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो चूका है और इसकी समाप्ति सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगी। ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे और 5 मिनट की होगी।
बता दें कि इस साल 2024 में कुल दो चंद्र ग्रहण हैं। पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 को हो चुका है और अब दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को लगने वाला है। ज्योतिष की मानें तो यह उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। बता दें कि उपछाया चंद्र ग्रहण में चांद सामान्य से हल्का धुंधला दिखता है और इसे साफ तौर पर देख पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है। इस स्थिति में चांद थोड़ा धुंधला और हल्का काला नजर आता है, जिसे साफ तौर पर देख पाना मुश्किल होता है। सामान्य चंद्र ग्रहण की तुलना में उपछाया चंद्र ग्रहण को ज्यादातर लोग महसूस नहीं कर पाते, क्योंकि इसमें चांद के रंग में मामूली बदलाव आता है। यह ज्यादातर खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय होता है।
साल 2024 का दूसरा चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखेगा। हालांकि, भारत में यह चंद्र ग्रहण अदृश्य रहेगा, लेकिन इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बना रहेगा।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस हिसाब से 17 सितंबर की रात 9 बजकर 12 मिनट पर सूतक काल की शुरुआत होगी और यह ग्रहण खत्म होने के साथ ही समाप्त होगा। सूतक काल में शुभ कार्यों पर पाबंदी होती है, जैसे कि किसी भी प्रकार की पूजा या धार्मिक कार्य करना माना होता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है। इस समय के दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नामकरण संस्कार नहीं किए जाते है। साथ ही, धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-अर्चना से बचने की सलाह दी जाती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करने और घर के मंदिर की सफाई करने का रिवाज भी होता है।