Dhanbad में एक बार फिर MRP से अधिक कीमत पर शराब बेचने का मामला सामने आया है। बता दें कि जिले के शहरी इलाकों के अलावा गोविन्दपुर, बरवाअड्डा, महुदा, कतरास समेत सभी ग्रामीण क्षेत्र की अंग्रेजी शराब दुकानों में मनमानी तरीके से शराब बेची जा रही है। अधिकांश दुकानों में निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत वसूली जा रही है, जिससे ग्राहकों और दुकान संचालकों के बीच आए दिन नोकझोंक की घटनाएं आम हो गई हैं। अब इस मामले में ग्राहकों के साथ-साथ सेल्समैन भी आवाज उठा रहे हैं।
ग्राहकों से MRP से अधिक कीमत वसूलने का मामला
मोहलबनी देसी शराब दुकान के सेल्समैन नीरज कुमार सिंह ने मैनपावर सप्लाई एजेंसी ‘मार्शन’ और उसके अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सेल्समैन पर ग्राहकों से MRP से अधिक कीमत वसूलने का दबाव बनाया जाता है। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन पर झूठे आरोप लगाकर नौकरी से हटा दिया जाता है। नीरज ने खुद पर भी पैसे के गबन का आरोप लगाकर हटाए जाने की बात कही और बताया कि उनका वेतन अभी भी बकाया है। इस मामले में उन्होंने श्रम न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई है। नीरज ने उन लोगों के नाम भी उजागर किए हैं, जिनके माध्यम से मार्शन के अधिकारी ओवररेटिंग करवाते हैं।
सेल्समैन ने किया बड़ा खुलासा
नीरज कुमार ने बताया कि एक नीब पर 10 रुपये, हाफ बोतल पर 20 रुपये और फूल बोतल पर 40-50 रुपये तक अधिक वसूला जा रहा है। वहीं, बीयर की बोतल पर 20 रुपये अधिक वसूले जा रहे हैं। कुछ फील्ड मैनेजरों के नाम भी उजागर किए गए हैं, जिनके द्वारा यह अवैध वसूली की जा रही है। इनमें शत्रुघ्न सिंह (धनबाद), शंभू प्रसाद (गोधर, पुटकी, लोयाबाद), अजय सिंह (भूली, झारखंड मोड़, लोहारबरवा), संजीव कुमार और जितेंद्र महतो (सिंदरी, बलियापुर), ऋतिक कुमार (राजगंज, तोपचाची) शामिल हैं। कंपनी के कोऑर्डिनेटर कुमुद और उमर फारूक पर भी आरोप है कि वे सेल्समैन पर MRP से अधिक वसूली के लिए दबाव डालते हैं। ओवररेटिंग से हुई कमाई का 2.75% हिस्सा मार्शन कंपनी के पास जाता है, जबकि बाकी 6.25% अन्य लोगों के बीच बांटा जाता है।
बेकाबू होती ओवररेटिंग और प्रशासन की चुप्पी
धनबाद जिले में लगभग 140 शराब की दुकानें हैं, और इनमें से अधिकांश दुकानों पर शराब की बोतलों पर 10 से 50 रुपये तक की ओवररेटिंग की जा रही है। दुकान संचालक, सेल्समैन और सुपरवाइजर सीधे तौर पर स्वीकार करते हैं कि वे अपने बॉस के कहने पर ग्राहकों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। इस अवैध कमाई में बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों तक का हिस्सा होता है। अगर सेल्समैन आदेश का पालन नहीं करते, तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है।
जनता की जेब पर खुलेआम डाका
आम जनता की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है, और इसे रोकने वाला कोई नहीं है। उत्पाद विभाग के निरीक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की गड़बड़ियों पर कार्रवाई करें, लेकिन उनकी चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। करोड़ों रुपये की इस लूट से उत्पाद आयुक्त भी आंखें मूंदे हुए हैं, और आम आदमी को रोजाना लूटा जा रहा है। अब यह देखना होगा कि जिले के वरीय अधिकारी इस मामले को किस तरह से संज्ञान में लेते हैं और एमआरपी से अधिक वसूली करने वाली कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट मिरर मीडिया धनबाद
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