Dhanbad में शराब दुकानदारों की मनमानी थमने का नाम नहीं लें रही है। शराब की कीमत MRP से अधिक वसूले जाने का मामला लगातार सामने आ रहा है। पूर्व में भी तत्कालीन सहायक उत्पाद आयुक्त द्वारा सभी दुकानों में निर्धारित MRP वाला डिस्प्ले बोर्ड लगाने के निर्देश दिये गए थे। लेकिन आलम यह है कि अब डिस्प्ले बोर्ड या तो नजर नहीं आ रहें है या तो उसे पलट दिया गया।
आँखें मुंदे हूए हैं उत्पाद विभाग
बता दें कि धनबाद के अलग अलग क्षेत्रों में उत्पाद निरीक्षक है जो अनियमितता की जांच कर सकते हैं ,बावजूद इसके आँखें मुंदे हूए हैं और यहीं वजह hai है कि ग्राहकों से MRP से अधिक कीमत वसूल किया जाता है जबकि अधिकारी चुप्पी साधे हुए है।
जिले के 140 दुकान हैं संचालित, अधिकांश में MRP से अधिक वसूली जा रही है कीमत
जानकारी के अनुसार धनबाद जिले में करीब 140 शराब की दुकाने हैं जहाँ सबसे छोटा बोतल नीब पर 10-20 रूपये हॉफ पर 20-30 रूपये और फूल पर करीब 50-100 रूपये की अधिक वसूली की जा रही है। हालांकि विरोध करने वाले ग्राहकों को छोड़ दिया जाता है जबकि वैसे ग्राहक जों कुछ नहीं बोलते हैं उनसे अधिक कीमत जोड़ कर लें ली जाती है।
ग्राहक और दुकानदार से नोकझोंक की घटनाएं आम
गौरतलब है कि मनमाने तरीके से शराब बेची जा रही अधिकांश दुकानों में निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत वसूली जा रही है, जिससे ग्राहकों और दुकान संचालकों के बीच आए दिन नोकझोंक की घटनाएं आम हो गई हैं। अब इस मामले में ग्राहकों के साथ-साथ सेल्समैन भी आवाज उठा रहे हैं।
अपने बॉस के कहने पर ग्राहकों से अधिक कीमत वसूलने की बात
दुकान संचालक, सेल्समैन और सुपरवाइजर सीधे तौर पर स्वीकार करते हैं कि वे अपने बॉस यानी एजेंसी के फील्ड मैनेजर और मलिक के कहने पर ग्राहकों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। इस अवैध कमाई में बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों तक का हिस्सा होता है। अगर सेल्समैन आदेश का पालन नहीं करते, तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। सहायक उत्पाद आयुक्त को इस संबंध में जानकारी भी है बावजूद वह कुछ कार्रवाई करने के वजाय चुप्पी साधे हुए हैं, साहब के ऑफिस आने का कोई समय नहीं है ,सुबह आए तो शाम नहीं, शाम आए तो सुबह नहीं, नतीजा एजेंसी के लोग उत्पाद निरीक्षक को महत्व नहीं देते हैं और मनमानी जिले में चालू है
जनता की जेब पर खुलेआम डाका
आम जनता की जेब पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है, और इसे रोकने वाला कोई नहीं है। उत्पाद विभाग के निरीक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की गड़बड़ियों पर कार्रवाई करें, लेकिन उनकी चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। करोड़ों रुपये की हो रही इस लूट में सहायक उत्पाद आयुक्त भी आंखें मूंदे हुए हैं, और आम आदमी को रोजाना लूटा जा रहा है। शराब पीने वाले शर्म के मारे आवाज नहीं उठाते हैं जिसका फायदा एजेंसी उठा रही है जबकि एमआरपी से अधिक कीमत लेना कानूनी जुर्म है बावजूद इसका उल्लंघन जिले में खुलेआम हो रहा है, हालांकि पूरे मामले पर सहायक उत्पाद आयुक्त रामलीला रवानी से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया
अब सवाल यह उठता है कि आखिर शराब दुकानों में मूल्य तालिका के बोर्ड क्यों छुपा दिए जा रहे हैं ? इसकी जांच कर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? शराब दुकान में काम करने वाले सेल्समैन को विगत 5 महीना से वेतन तक नहीं मिला है जिसे लेकर उन्होंने श्रम विभाग का दरवाजा खटखटाया है बावजूद ना तो एजेंसी ना ही अधिकारी इस मामले पर कुछ पहल कर रहे हैं, जबकि श्रम विभाग ने एजेंसी और उत्पाद विभाग को भी नोटिस जारी किया है
अब यह देखना होगा कि जिले के वरीय अधिकारी इस मामले को किस प्रकार से संज्ञान में लेते हैं और एमआरपी से अधिक वसूली करने वाली कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई होती हैं।