डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल धनबाद के कार्यपालक अभियंता नरेंद्र कुमार के खिलाफ सहायक अभियंता मुकेश कुमार ने शुक्रवार को मोर्चा खोल दिया। मुकेश कुमार अपने बोरिया-बिस्तर लेकर कार्यालय पहुंचे और कार्यपालक अभियंता के कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठ गए।
सीनियर पर मानसिक प्रताड़ना का लगाया आरोप
सहायक अभियंता मुकेश कुमार ने आरोप लगाया कि कार्यपालक अभियंता नरेंद्र कुमार उनके साथ मानसिक प्रताड़ना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कार्यपालक अभियंता तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं और विभाग में अराजकता फैला रखी है। वे बिना वजह मुझे अपमानित करते हैं और विभागीय कार्यों में मेरा सहयोग नहीं लेते। सेवानिवृत्त सहायक अभियंता रमाकांत अकेला से ही सारे काम करवाते हैं। अगर किसी योजना का निरीक्षण करता हूं, तो मुझ पर झूठे आरोप लगाकर रिटायर्ड अभियंता से जांच करवाई जाती है।”
विभाग में अपमानित करने का आरोप
मुकेश कुमार का कहना है कि उन्हें केवल एमबी बुक पर हस्ताक्षर करने के लिए बुलाया जाता है, जबकि बाकी सभी कार्यों से उन्हें दूर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि कार्यालय तीन दिनों से बंद है और वे बुधवार को फिर से धरना देंगे। जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, उनका धरना जारी रहेगा। वहीं, कार्यपालक अभियंता नरेंद्र कुमार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
कार्यपालक अभियंता का पक्ष
वहीं, कार्यपालक अभियंता नरेंद्र कुमार ने बताया कि विभाग में 30 पुलों और चार ब्लॉक भवनों का काम चल रहा है, जिसमें काफी कार्यभार है। विभाग में चार स्वीकृत पदों में से केवल एक सहायक अभियंता की पोस्टिंग है। डीएमएफटी फंड की हालिया बैठक में मैनपावर की कमी का मुद्दा उपायुक्त के सामने उठाया गया था, जिसके बाद डीसी ने आरईओ के सहायक अभियंता को यहां प्रतिनियुक्त किया है।
सहायक अभियंता पर भी आरोप
नरेंद्र कुमार ने कहा कि मुकेश कुमार अक्सर बोकारो चले जाते हैं, जिससे विभागीय कार्य प्रभावित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मुकेश कुमार को फील्ड में जाने से कोई नहीं रोकता, लेकिन अगर उन्हें इतनी परेशानी है, तो एमबी बुक पर हस्ताक्षर क्यों करते हैं। बताते चलें कि मुकेश कुमार की धनबाद में पोस्टिंग जुलाई 2022 में हुई थी।
सेवानिवृत्त अभियंता ने किया बचाव
सेवानिवृत्त सहायक अभियंता रमाकांत अकेला ने कहा कि वे सिर्फ कार्यपालक अभियंता के आग्रह पर उनका सहयोग करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने किसी भी योजना के बैक डेट के बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, बल्कि विभाग की जरूरत पड़ने पर सिर्फ सहायता की है।
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