डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद हो रहे चुनावों के पहले चरण का मतदान आज जारी है, जिसमें कश्मीर संभाग की 16 सीटों पर वोटिंग हो रही है। मतदाताओं में उत्साह देखते ही बन रहा है, खासकर उन क्षेत्रों में, जो कभी आतंकवाद के गढ़ माने जाते थे। अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और त्राल जैसे इलाकों में लोग बढ़-चढ़कर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं।
शोपियां में मतदान केंद्रों पर भीड़
शोपियां में एक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं, जहां महिला वोटर्स का विशेष उत्साह नजर आया। मतदान को लेकर महिलाओं में यह उत्साह लोकतंत्र में उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है।
पुलवामा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
पुलवामा में मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बीच शांतिपूर्ण मतदान जारी है। यह चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इससे पहले यहां 2014 में चुनाव हुए थे, और इस बार लोगों में चुनाव के प्रति जबरदस्त रुचि है।
महिलाओं में विकास के मुद्दों पर जागरूकता
दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में महिलाओं की लंबी कतारें विकास के मुद्दों के प्रति जागरूकता को दर्शा रही हैं। इस चुनाव में स्थानीय जनता के लिए आतंकवाद, अलगाववाद जैसे पुराने मुद्दों की जगह विकास और मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
किश्तवाड़ में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी
जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में मतदान के पहले चरण के दौरान मुस्लिम महिलाएं बड़ी संख्या में वोट डालने पहुंचीं। खास बात यह है कि इस बार चुनाव में हर वर्ग की भागीदारी देखने को मिल रही है, जिसमें प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के सदस्य भी चुनावी मैदान में हैं।
निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा
इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी संख्या भी चर्चा का विषय बनी हुई है। करीब 40% से ज्यादा उम्मीदवार निर्दलीय मैदान में हैं, जो पिछले 57 सालों में दूसरी बार हो रहा है। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने पार्टी से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष पोलिंग बूथ
इस बार जम्मू-उधमपुर और दिल्ली में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए गए हैं। दिल्ली में चार, जम्मू में 19 और उधमपुर में एक विशेष पोलिंग बूथ तैयार किया गया है, ताकि सभी मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें।
यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के लिए न केवल लोकतंत्र का उत्सव है, बल्कि एक नए युग की शुरुआत की उम्मीद भी जगाता है, जहां जनता विकास और शांति के मुद्दों को तरजीह दे रही है।
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