भारत दुनिया का चौथा सबसे युवा देश है, नाइजीरिया पहले, फिलीपींस दूसरे और बांग्लादेश तीसरे पर हैं। लेकिन यहाँ एक चिंताजनक बात है – हमारा देश तेजी से बूढ़ा भी हो रहा है। 2024 में देश की औसत उम्र 28-29 वर्ष हो गई है, जो 2021 में 24 वर्ष थी।
भारत में बुजुर्गों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, और यह अनुमान है कि:
2050 तक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 347 मिलियन तक पहुंच जाएगी।
2036 तक भारत की जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या 12.5% होगी।
2050 तक यह संख्या 19.4% तक पहुंच जाएगी।
यह बदलाव न केवल सामाजिक बल्कि आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को भी पैदा कर रहा है।
भारत में बुजुर्गों की स्थिति पर एक नज़र डालने से पता चलता है:
बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि: 2010 में 91.6 मिलियन से बढ़कर 2025 में 158.7 मिलियन होने की उम्मीद है।
बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति: 40% से अधिक बुजुर्ग गरीबी रेखा से नीचे हैं और लगभग 18.7% के पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है।
बुजुर्गों की स्वास्थ्य स्थिति: बुजुर्गों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं, जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि बुजुर्गों को सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जा सके।